NHM में दवाओं और उपकरणों की खरीद में घपला
नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के बजट में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। मानकों को दरकिनार कर दवाओं और उपकरणों की खरीद-फरोख्त की गई। कई जिलों में खरीद-फरोख्त में मानकों की अनदेखी की आशंका जाहिर की जा रही है। सच्चाई का पता लगाने के लिए एनएचएम के निदेशक के निर्देश पर जांच कमेटी गठित की गई है।
नेशनल हेल्थ मिशन के तहत दर्जनों योजनाओं का संचालन हो रहा है। योजनाओं के सफल संचालन के लिए केंद्र और राज्य सरकार करोड़ों रुपए का बजट आवंटित कर रही है। इस बजट से संसाधन जुटाने का नियम है। जिलों में बजट जारी होने के साथ ही उसे खर्च करने का नियम-कानून भी जारी किया जाता है। इसके बावजूद जिलों में नियम-कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। नियमों को दरकिनार कर खरीद-फरोख्त हो रही है।
जिलों में सीएमओ स्तर पर दवाएं, अल्ट्रासाउंड, एक्सरे, पैथोलॉजी समेत दूसरे उपकरण खरीद हो रही है। संसाधन जुटाने के नाम पर लूट मची है। दवाएं मानकों के खिलाफ खरीदी जा रही हैं। नतीजतन दवाएं मर्ज पर असर नहीं करती हैं। वहीं खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) के अफसरों ने दवाओं को अद्योमानक पाया।
गैरजरूरी उपकरण खरीदे
बजट खपाने और कमीशनखोरी के लिए पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी की तमाम गैरजरूरी मशीनें भी खरीदी गई हैं। लखनऊ के कई बाल महिला अस्पतालों में खून की तमाम मशीनें खरीदी गईं, जिनका इस्तेमाल न के बराबर हो रहा है। अफसरों ने कमीशन के लालच में ऑटो एनालाइजर समेत दूसरे उपकरण तो खरीद लिए लेकिन उसे चलाने वाले विशेषज्ञ का इंतजाम नहीं किया गया। कैलशियम विद डी-3 खरीदनी थी। अफसरों ने कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए एलीमेंटल कैलिशयम खरीद ली, जो तय दर से काफी महंगी थी। इसी तरह बच्चों के ऑयरन सिरप में भी घालमेल हुआ है।
ये चल रहे कार्यक्रम
एनएचएम के तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, जननी सुरक्षा योजना, जननी शिशु सुरक्षा योजना, अर्बन सीएचसी, अर्बन पीएचसी, अर्बन आउट रीच कार्यक्रम, नेशनल आयरन प्लस कार्यक्रम का संचालन हो रहा है। इसके अलावा परिवार नियोजन, पीसीपीएनडीटी एक्ट, आयुष ड्रग, डिस्टेशनल डायबिटीज समेत अन्य कार्यक्रमों का संचालन एनएचएम कर रह है।
ये है कमेटी
दवाओं और उपकरणों में किसी भी तरह की गड़बड़ी का पता लगाने की जिम्मेदारी एनएचएम के महाप्रबंधक मातृ स्वास्थ्य डॉ. मनोज कुमार शुक्ला को सौंपी गई है। डॉ. शुक्ला को जांच कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की उप महाप्रबंधक डॉ. सुनंदा वर्मा, वित्त विभाग में प्रबंधक नरेंद्र , परामर्शदाता प्रोक्योरमेंट पल्लवी पांडेय को सदस्य नामित किया गया है।
मिशन निदेशक पंकज कुमार के निर्देश पर जांच कमेटी गठित की गई है। 15 दिन के भीतर जांच पूरी करनी है ताकि गड़बड़ी का पता लगाया जा सके। जांच अधिकारी नामित कर दिए गए हैं। - निखिल चंद्र शुक्ला, अपर मिशन निदेशक, एनएचएम
नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के बजट में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। मानकों को दरकिनार कर दवाओं और उपकरणों की खरीद-फरोख्त की गई। कई जिलों में खरीद-फरोख्त में मानकों की अनदेखी की आशंका जाहिर की जा रही है। सच्चाई का पता लगाने के लिए एनएचएम के निदेशक के निर्देश पर जांच कमेटी गठित की गई है।
नेशनल हेल्थ मिशन के तहत दर्जनों योजनाओं का संचालन हो रहा है। योजनाओं के सफल संचालन के लिए केंद्र और राज्य सरकार करोड़ों रुपए का बजट आवंटित कर रही है। इस बजट से संसाधन जुटाने का नियम है। जिलों में बजट जारी होने के साथ ही उसे खर्च करने का नियम-कानून भी जारी किया जाता है। इसके बावजूद जिलों में नियम-कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। नियमों को दरकिनार कर खरीद-फरोख्त हो रही है।
जिलों में सीएमओ स्तर पर दवाएं, अल्ट्रासाउंड, एक्सरे, पैथोलॉजी समेत दूसरे उपकरण खरीद हो रही है। संसाधन जुटाने के नाम पर लूट मची है। दवाएं मानकों के खिलाफ खरीदी जा रही हैं। नतीजतन दवाएं मर्ज पर असर नहीं करती हैं। वहीं खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) के अफसरों ने दवाओं को अद्योमानक पाया।
गैरजरूरी उपकरण खरीदे
बजट खपाने और कमीशनखोरी के लिए पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी की तमाम गैरजरूरी मशीनें भी खरीदी गई हैं। लखनऊ के कई बाल महिला अस्पतालों में खून की तमाम मशीनें खरीदी गईं, जिनका इस्तेमाल न के बराबर हो रहा है। अफसरों ने कमीशन के लालच में ऑटो एनालाइजर समेत दूसरे उपकरण तो खरीद लिए लेकिन उसे चलाने वाले विशेषज्ञ का इंतजाम नहीं किया गया। कैलशियम विद डी-3 खरीदनी थी। अफसरों ने कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए एलीमेंटल कैलिशयम खरीद ली, जो तय दर से काफी महंगी थी। इसी तरह बच्चों के ऑयरन सिरप में भी घालमेल हुआ है।
ये चल रहे कार्यक्रम
एनएचएम के तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, जननी सुरक्षा योजना, जननी शिशु सुरक्षा योजना, अर्बन सीएचसी, अर्बन पीएचसी, अर्बन आउट रीच कार्यक्रम, नेशनल आयरन प्लस कार्यक्रम का संचालन हो रहा है। इसके अलावा परिवार नियोजन, पीसीपीएनडीटी एक्ट, आयुष ड्रग, डिस्टेशनल डायबिटीज समेत अन्य कार्यक्रमों का संचालन एनएचएम कर रह है।
ये है कमेटी
दवाओं और उपकरणों में किसी भी तरह की गड़बड़ी का पता लगाने की जिम्मेदारी एनएचएम के महाप्रबंधक मातृ स्वास्थ्य डॉ. मनोज कुमार शुक्ला को सौंपी गई है। डॉ. शुक्ला को जांच कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की उप महाप्रबंधक डॉ. सुनंदा वर्मा, वित्त विभाग में प्रबंधक नरेंद्र , परामर्शदाता प्रोक्योरमेंट पल्लवी पांडेय को सदस्य नामित किया गया है।
मिशन निदेशक पंकज कुमार के निर्देश पर जांच कमेटी गठित की गई है। 15 दिन के भीतर जांच पूरी करनी है ताकि गड़बड़ी का पता लगाया जा सके। जांच अधिकारी नामित कर दिए गए हैं। - निखिल चंद्र शुक्ला, अपर मिशन निदेशक, एनएचएम
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